अंडे का निर्माण तीन भागो से होता है –
१ बाहरी घोल (outer membrane)
२ एल्ब्यूमिन (albumin)
३ अंडे की जर्दी या पीला भाग(yolk)
१ बाहरी घोल (outer membrane)- यह सफ़ेद बाहरी खोल होता है,जो कैल्शियम का बना होता है वह अंडे के मुलायम भाग को ढके रहते हैं एवं मजबूत होता हैजिसमे हजारों छिद्र होते हैं जिसके माध्यम से अंडा ऑक्सीजन कार्बन डाइऑक्साइड तथा हवा की नमी को लेता हुआ छोड़ता है l इसमें दो तय होती हैं बाहर वाली तो पतली घणी तथा मजबूत होती हैं जो बाहर के कीटाणुओं के प्रवेश को रोकती हैं भीतर वाला भाग पतला दानेदार तथा मजबूत होता है यह बाहरी तक को मजबूत बनाता है तथा बढ़ते हुए को कैल्शियम देता है यह अंडे के कुल वजन का 12% तक होता है l
२ एल्ब्यूमिन (albumin)- अंडे की जर्दी के चारों ओर जो उजला द्रव पदार्थ है रहते हैं एल्ब्यूमिन कहलाता है l यह चार तहो से मिलकर बना होता है यह बढ़ते चूजे की सुरक्षा व खाद्य पदार्थों की पूर्ति करता है इसमें एक भाग चैलेजा होता है जो की पीले भाग को एक ही स्थान पर रखता है एल्ब्यूमिन अंडे के वजन का 56% तक होता है l
३ अंडे की जर्दी या पीला भाग(yolk)- यह अंडे के मध्य का पीला भाग है जो पतली झिल्ली से गिरा होता है यह चूजा की आकृति में उसी समय परिवर्तित होता है जब इसका नर जर्म सेल से मिलना होता है यदि इसमें नर जर्म में सेल रहता है तभी यह सेचन योग्य अंडा कहलाता है अन्यथा इससे चूजे का निर्माण नहीं होता ।